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सुसाइड प्वाइंट बना कसरावद का नया पुल - dhar news




धार, भगवान मुजाल्द -राष्ट्रीय राजमार्ग खंडवा बड़ौदा पर मलवाड़ा व कसरावद के बीचो बीच नर्मदा नदी पर बना नया पुल पिछले कई वर्षों से सुसाइड प्वाइंट बन गया है क्षेत्र में यह नया पुल सुसाइड प्वाइंट के नाम से प्रचलित है जब से पुल निर्माण हुआ है तब से लेकर आज तक सैकड़ों युवक युवतियों व नौजवान साथियों ने पुल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली है अनेकों बार तो आत्महत्या का प्रयास करते समय या पुल से छलांग लगाने के बाद दयावान लोगों द्वारा आत्महत्या करने वालों को बचाया गया है वर्तमान में दो पति पत्नी जो कि बड़वानी के निवासी थे उन्होंने पुल पर से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली वहीं एक अन्य व्यक्ति ने भी आत्महत्या की है जिनके शव बरामद कर लिया गए हैं। 


 रेलिंग की ऊंचाई पर्याप्त नहीं होने से हो रही आत्महत्याए


नर्मदा नगर गणपुर कसरावद के ग्रामीणों ने बताया कि पुल के दोनों तरफ सीमेंट की रेलिंग बनाई गई है उसकी ऊंचाई पर्याप्त ना होकर महज लगभग 3 फुट की बनी हुई है जिससे कि नर्मदा में सामग्री डालने व सेल्फी लेने वालों पर भी खतरा मंडराता है कई बार लोग नर्मदा जी में चने व सामग्री डालने व सेल्फी लेने पर भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं लोगों का कहना है कि पुल की रेलिंग लगभग 7 से 8 फुट की ऊंचाई पर होने से सुसाइड करने वालों व आम जनता के हित में होगा पुल के दोनों तरफ लोहे की जाली लगने से आत्महत्या करने वालों को बचाया जा सकेगा


 आत्महत्याओं का शतक पार

बड़वानी जिले के निकट कसरावद मैं नर्मदा नदी पर बने पुल पर आत्महत्या करने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है दिन प्रतिदिन आपको आत्महत्या के बारे में सुनने को मिलता है वर्तमान में 8 से 10 लोगों ने अपनी जान दे दिए जिसमे बड़वानी के निवासी दो पति पत्नी भी शामिल है पति पत्नी के एक साथ पुल से छलांग लगाने पर पुल पर निकलने वाले लोग हताहत रह गए लोगों को कुछ समझ में आता जब तक की पति पत्नी दोनों ने पुल पर से छलांग लगा दी वहा मौजूद लोगों ने हवा से भरा ट्यूब लेकर नदी में डाला जिससे कि उन दोनों को बचाया जा सके लेकिन वह दोनों भी ट्यूब को नहीं पकड़ पाए व नर्मदा मैया में समा गए


 प्रशासन का कोई ठोस प्रयास नहीं

आत्महत्याओं का रिकॉर्ड टूटने पर है लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है वह आत्महत्या रोकने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है किसी भी नावीक या गोताखोर की नियुक्ति आज तक नहीं की गई है केवल मरने के बाद लाश को ढूंढने का प्रयास किया जाता है लेकिन रेलिंग की ऊंचाई बढ़ाने व हमेशा के लिए नावीक, गोताखोर को पुल के नीचे स्थाई नियुक्त नहीं किया जा रहा है यदि नावीक या गोताखोर को पुल के नीचे स्थाई तौर पर रखा जाए तो किसी भी हद तक आत्महत्या करने वालों को का बचाया जा सकता है।

 सामाजिक संगठनों ने कई बार प्रशासन को चेताया

बड़वानी व धार क्षेत्र के सामाजिक संगठनों ने व कार्यकर्ताओं ने वह पत्रकार साथियों ने समाचार पत्रों के माध्यम से आए दिन प्रशासन को जगाने का प्रयास किया वह क्षेत्रीय नेताओं से पुल पर दोनों तरफ लोहे की जाली लगाने की मांग रखी गई लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी व नेतागण ने सुध नहीं ली

 आत्महत्या करने वालों को बचाना पुण्य का कार्य

क्षेत्र के दयावान लोगों का कहना है कि आए दिन युवा नौजवान पुल पर से छलांग लगाकर जब आत्महत्या करते हैं तो हमें बड़ा दुख होता है ईश्वर ने यह शरीर कई अन्य योनियों को भोगने के बाद मानव शरीर दिया है लेकिन फिर भी हम जाने अनजाने में व क्रोधित होकर यह रास्ता चुनते हैं लेकिन हमने देखा है कि जब पुल पर से कूदने के बाद व्यक्ति बचाओ बचाओ की आवाज लगाता है जिससे हमें महसूस होता है कि क्रोधित होकर आदमी मरने का प्रयास तो करता है लेकिन जब वह मरने लगता है तो बचने का मौका ढूंढता है यदि उसी समय उसे वह मौका दे दिया जाए तो एक बहुत बड़ा पुण्य का काम होता है और इसी पुण्य कार्य से ईश्वर प्रसन्न होते हैं तो क्यों देर है इस पुण्य कार्य में भागीदारी लेने की प्रशासन ने जल्द ही इस पुण्य कार्य को स्वीकृत करना चाहिए ताकि आत्महत्या करने वालों को काफी हद तक बचाया जा सके।

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